भोजपुरी सिनेमा के संस्थापक… 37 साल में 500 फिल्मों में योगदान, फिर भी इस एक्टर को कोई अवार्ड नहीं
गाजीपुर: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के उसिया गांव में 15 मई 1922 को जन्मे नजीर हुसैन, भोजपुरी सिनेमा के अग्रणी हस्ताक्षर माने जाते हैं. गांव के सादगी भरे परिवेश में पले-बढ़े नजीर हुसैन का भोजपुरी भाषा और संस्कृति से गहरा नाता था, जिसने उन्हें भोजपुरी सिनेमा का “पितामह” बना दिया. उनकी कला और व्यक्तित्व में गांव की मिट्टी की महक साफ झलकती थी, और यहीं से भोजपुरी सिनेमा की नींव रखने का उनका सपना जन्मा.
1960 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद से मुलाकात के दौरान नजीर हुसैन को भोजपुरी में फिल्में बनाने की प्रेरणा मिली. राष्ट्रपति ने उनसे कहा कि भोजपुरी भाषा में भी फिल्में बननी चाहिए. इसी प्रेरणा से नजीर ने पहली भोजपुरी फिल्म ‘गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ाइबो’ (1963) का निर्माण किया, जो भोजपुरी सिनेमा की पहली फिल्म बनी और इसे एक सशक्त पहचान दी. इस ऐतिहासिक पहल ने नजीर हुसैन को भोजपुरी सिनेमा का संस्थापक बना दिया.
हिंदी सिनेमा में भी अमूल्य योगदान
भोजपुरी सिनेमा में करियर बनाने के बावजूद नजीर हुसैन का हिंदी सिनेमा में भी उल्लेखनीय योगदान रहा. उन्होंने ‘अमर अकबर एंथनी,’ ‘कटी पतंग,’ ‘द बर्निंग ट्रेन,’ और ‘असली नकली’ जैसी लोकप्रिय फिल्मों में शानदार अभिनय किया. उनके हर किरदार में गहराई और वास्तविकता दिखाई देती थी, जिसने उन्हें हिंदी और भोजपुरी, दोनों ही सिनेमा में एक अलग पहचान दी.
फिटनेस के प्रति जुनून
नजीर हुसैन अपने स्वास्थ्य के प्रति बेहद सजग थे. उनकी दिनचर्या में रोजाना की लंबी सैर एक अहम हिस्सा थी, चाहे मौसम कैसा भी हो. यह उनकी फिटनेस के प्रति गंभीरता और अनुशासन का परिचायक था. हालांकि, 16 अक्टूबर 1987 को भोजपुरी फिल्म ‘टिकुलिया चमके’ के लिए देर रात तक काम करने के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिससे उनका निधन हो गया. यह घटना भोजपुरी सिनेमा के लिए एक गहरी क्षति थी.
सम्मान से दूर, लेकिन योगदान अमर
अपने 37 साल के करियर में नजीर हुसैन ने 500 से अधिक फिल्मों में काम किया. हालांकि, अपने इस महान योगदान के लिए उन्हें कभी किसी बड़े अवॉर्ड से सम्मानित नहीं किया गया. फिर भी, उन्होंने भोजपुरी सिनेमा को स्थापित कर, अपनी कला और लगन से उसे नए आयाम तक पहुंचाया. उनका योगदान सदैव अमर रहेगा, और वे हमेशा भोजपुरी सिनेमा के पथप्रदर्शक के रूप में याद किए जाएंगे.
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FIRST PUBLISHED : November 11, 2024, 08:31 IST