इन 5 नस्ल के बकरी का करें पालन, खेती के साथ होगा बंपर मुनाफा, दूध उत्पादन के साथ छपर-फार बरसेगा पैसा



कोडरमा. कृषि कार्य से जुड़े लोग कम पूंजी निवेश कर बकरी पालन कर बेहतर आय प्राप्त कर सकते हैं. बकरी के ऐसे पांच नस्ल हैं, जिनका पालन कर किसान पूरे साल भर मुनाफा कमा सकते हैं. जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ. रामसरिक प्रसाद ने बताया कि भारत में 20 प्रजाति की बकरी पाई जाती है. जिसमें ब्लैक बंगाल, बारबरी, बीटल, जमुनापरी और सिरोही दूध एवं मांस उत्पादन के लिए सबसे बेहतर है. कम देखभाल एवं कम खर्चे में बकरी पालन कर लोग दूध उत्पादन के साथ

2 वर्ष में तीन बार बच्चों को जन्म देती है यह नस्ल
उन्होंने बताया कि ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरी झारखंड के जलवायु के अनुरूप बेहतर है. यह काला रंग का होता है और कुछ बकरियां में भूरा एवं सफेद बाल देखने को भी मिलता है. काले रंग के कारण इसे ब्लैक बंगाल कहा जाता है. उन्होंने बताया कि यह छोटे कद की होती है. इसका शरीर गठीला होता है. कान छोटा होता है. वयस्क नर का वजन 18 से 20 किलोग्राम एवं मादा का वजन 15 से 18 किलोग्राम का होता है. इस नस्ल की प्रजनन काफी अच्छी होती है. यह दो वर्ष में तीन बार बच्चा देती है तथा एक बियान में दो से तीन बच्चों को जन्म देती है. इस नस्ल की बकरी 8 से 10 महीने की उम्र में वयस्क हो जाती है एवं 15 से 16 माह की उम्र में प्रथम बार बच्चा देती है. इस नस्ल के बकरियां मांस उत्पादन की दृष्टिकोण से बहुत उपयोगी है.

प्रतिदिन 1 किलो दूध देती है इस नस्ल की बकरी 
बारबरी नल की बकरियां मूल रूप से मध्य एवं पश्चिम अफ्रीका में पाए जाते हैं. इन्हें भारत में पादरियों के द्वारा लाया गया था. अब यह उत्तर प्रदेश के आगरा, मथुरा एवं उससे लगे क्षेत्रों में काफी संख्या में पाया जाता है. इन स्थानों से बकरियों को लाकर लोग झारखंड में भी इसका पालन कर रहे हैं. यह बकरी छोटे कद की होती है. इसका शरीर काफी गठीला होता है. शरीर पर छोटे-छोटे बाल पाए जाते हैं. इनके शरीर पर सफेद रंग के साथ काला या भूरा धब्बा बाल पाया जाता है. यह देखने में हिरण की तरह होती है इस नस्ल के बकरियां मांस एवं दूध दोनों के लिए उपयुक्त होती हैं. इस नस्ल की बकरी 1 किलोग्राम दूध प्रतिदिन देती है इसकी प्रजनन क्षमता भी बहुत अधिक होती है यह 2 वर्ष में तीन बार बच्चों को जन्म देती है एवं एक बियान में दो से तीन बच्चों को जन्म देती है. वयस्क नर का वजन 35 से 40 किलोग्राम एवं मादा का वजन 25 से 30 किलोग्राम होता है.

55-60 किलो तक होता है इनका वजन 
बीटल नस्ल की बकरियां पंजाब के गुरदासपुर जिले में पाए जाते हैं. पाकिस्तान के पंजाब से सटे इलाके में भी यह पाए जाते हैं. इन बकरियों को झारखंड में भी पाला जा रहा है बीटल प्रजाति की बकरियां मांस के साथ दूध उत्पादन के लिए उपयुक्त हैं. इस नस्ल की बकरियां 1 से 2 किलोग्राम दूध प्रतिदिन देती है. यह साल में एक बार बच्चा देती है एवं प्रायः एक ही बच्चे को जन्म देती है. इस नस्ल के वयस्क नर का वजन 55 से 60 किलोग्राम एवं मादा का वजन 45 से 55 किलोग्राम होता है.

2 किलो दूध उत्पादन के साथ 90 किलो तक होता है इस नस्ल का वजन
जमुनापरी नस्ल की बकरी उत्तर प्रदेश के इटावा जिले तथा गंगा, यमुना एवं चंबल की तराइयों में पाया जाता है. लोग अब झारखंड समेत दूसरे प्रदेश में भी इसका पालन कर रहे हैं. इस नस्ल की बकरियों के नाक काफी उभरे हुए होते हैं इसके कान 10 से 12 इंच लंबा एवं लटकता रहता है. इसका शरीर बेलनाकार होता है. इस नस्ल के बकरियों के जांघ पर पीछे की ओर काफी लंबे एवं घने बाल पाए जाते हैं वयस्क नर का औसत वजन 70 से 90 किलोग्राम एवं मादा का 50 से 60 किलोग्राम होता है. इस नस्ल की बकरी औसतन डेढ़ से 2 किलोग्राम दूध प्रतिदिन देती है. यह साल में एक बार बच्चा देती है तथा अधिकतम बकरियां एक बियान में एक ही बच्चे को जन्म देती है. इस नस्ल के बकरों का प्रयोग हमारे देश में अन्य छोटे नस्ल की बकरियों के नस्ल सुधार हेतु किया जाता है.

एक साल में दो बार बच्चे देती है यह नस्ल 
सिरोही नस्ल के बकरियां मुख्य रूप से राजस्थान के सिरोही जिले में पाए जाते हैं. यह गुजरात एवं राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में पाए जाते हैं. इस नस्ल की बकरियों के कान लंबे होते हैं शरीर का बाल मोटा एवं छोटा होता है. पूंछ मुड़ा हुआ होता है एवं पूंछ के बाल खड़े होते हैं यह सालाना एक बियान में दो बच्चों को जन्म देती है. इस नस्ल के बकरों का प्रयोग अन्य छोटे नस्ल के सुधार के लिए किया जाता है इस नस्ल के बकरियां दूध एवं मांस दोनों के लिए उपयुक्त है.

Tags: Agriculture, Animal Farming, Animal husbandry, Local18



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