कर्फ्यू, दंगे और हिंसा के छुपे कई रहस्य, संभल में मिले शिव मंदिर से अब खुलेंगे राज! – India TV Hindi


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संभल में मिला शिव मंदिर

उत्तर प्रदेश के संभल में 400 साल पुराना शिव मंदिर मिला है। ये मंदिर साल 1978 से बंद पड़ा था किसी को पता भी नहीं था कि इस जगह पर शिव मंदिर हो सकता है। जब इस इलाके में शनिवार, 14 दिसंबर 2024 को बिजली चोरों को पकड़ने के लिए प्रशासन की तरफ से चेकिंग हो रही थी, तभी बुलडोजन की कार्रवाई में खुदाई करते हुए अचानक यह मंदिर मिला। धूल और मिट्टी से भरे इस मंदिर में भगवान हनुमान, शिव लिंग, नंदी और कार्तिकेय की मूर्तियां मिली हैं और साथ ही एक कुआं भी मिला है। पुलिस ने एक्शन लिया और मंदिर को अवैध कब्जे से आजाद कराया।

शिव मंदिर को क्यों कैद कर रखा गया

ऐसे में सवाल ये है कि आखिर 46 सालों से किसके इशारे पर इस शिव मंदिर को कैद रखा गया था। बता दें कि मंदिर से महज 200 मीटर की दूरी पर सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क का घर है और डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर शाही जामा मस्जिद भी है। मेन रोड से महज 500 मीटर की दूरी पर मंदिर मिला है। 400 से 500 साल पुराने इस मंदिर का इतिहास बताया जा रहा है तो फिर यह मंदिर क्यों बंद रहा.. क्या किसी साजिश के तहत ये सब हुआ। 

नहीं पता चलता तो कब्जे में चला जाता

संभल के डीएम का कहना है कि यह मंदिर 400 साल से भी पुराना है। इस मंदिर पर कब्जा करने की तैयारी थी और अगर बिजली चोरी की चेकिंग नहीं होती तो मंदिर हमें कभी नहीं मिलता। इसे पूरी तरह से कब्जा कर लिया जाता। लगता है कि इस शिव मंदिर पर अतिक्रमण की पूरी तैयारी की गई थी। प्रशासन के आदेश से पुलिस की मौजूदगी में इस मंदिर को खुलवाया गया और अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर एक्शन हुआ जिससे इस बंद मंदिर का अस्तित्व बच सका। इस बारे में कमल दिवाकर का कहना है कि उस समय दहशत का माहौल था हिन्दू परिवारों के घरों में आग लगाई जा रही थी बच्चे और महिलाएं सुरक्षित नहीं थे इसलिए पलायन करना पड़ा।

क्यों बंद हुआ था मंदिर, क्या है राज

साल 1978 के बाद यह मंदिर कभी नहीं खोला गया। ये कोई ऐसी वैसी बात नहीं थी बल्कि यूपी के संभल जिले में उस वक्‍त जो हुआ था, उसने हिन्‍दुओं को पलायन पर मजबूर कर दिया था। संभल के जिस खग्गूसराय क्षेत्र में शिव मंदिर मिला है, वहां पहले बड़ी संख्‍या में हिन्‍दू परिवार की मौजूदगी का दावा किया जाता है। साल 1976 और 1978 में यहां दो बड़े दंगे हुए, जिसके बाद हिन्‍दूओं का बड़ी संख्‍या में पलायन हुआ। साल 1978 में भड़की हिंसा इतनी भयंकर थी कि संसद ने संभल में एक फैक्‍ट फाइंडिंग कमेटी भेजने पर भी विचार किया था।

दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार संभल जामा मस्जिद के इमाम मुहम्मद हुसैन की साल 1976 में हत्‍या कर दी गई थी। द प्रिंट वेबसाइट की रिपोर्ट में 55 वर्षीय हिन्‍दू निवासी सुशील गुप्ता से बातचीत का जिक्र है। उन्‍होंने दावा किया कि 1976 में संभल जामा मस्जिद के मौलाना की हत्‍या कर दी गई थी। संसदीय रिकॉर्ड और एसएलएम प्रेमचंद की 1979 की प्रकाशित ‘मॉब वायलेंस इन इंडिया’ किताबों में कहा गया है कि मौलाना की हत्या एक हिंदू ने की थी. मौलाना का परिवार कुछ ही समय बाद यूपी के आजमगढ़ के अहिरौला में चला गया और इसके बाद यहां दंगे भड़क गए थे। इसके बाद में ही इस शिव मंदिर को ताला लगा दिया गया था।

कर्फ्यू और दंगे का इतिहास

संभल में भड़की हिंसा और दंगे के बाद 29 मार्च 1978 से 20 मई तक कर्फ्यू लगा रहा। इन दंगे के संबंध में कुल 169 अभियोग पंजीकृत हुए थे, जिनमें से तीन मकदमे पुलिस द्वारा पंजीकृत कराए गये थे तथा शेष अभियोग संभल के दोनों संप्रदाय के व्यक्तियों द्वारा पंजीकृत कराए गए थे। 29 मार्च 1978 को हुए प्रदर्शन के दौरान उमड़ी भीड़ में अराजक तत्व भी शामिल हो गए थे। उस समय मंजर शफी और रंगनलाल के बीच हुए विवाद की बात सामने आती है। इस दौरान लूटमार व भगदड़ के साथ आगजनी हुई थी।

अफवाहों को मिली थी जगह, लगा था कर्फ्यू

फिर कई तरह की अफवाहों ने दंगे और हिंसा को बढ़ा दिया था। जिसमें मंजर शफी का मारा जाना, मस्जिद का तोड़ा जाना, पेश इमाम का जलाया जाना तथा कोतवाली के पास बनी मस्जिद को नष्ट किया जाना और अनेक लूटपाट व कत्ल की बातें थीं। भयावह स्थिति देखते हुए परगनाधिकारी द्वारा तत्काल कर्फ्यू लगाने का आदेश जारी किया गया था। कई जगहों पर आगजनी लूटमार और हत्या की वारदातें हुई थीं और अनेक स्थानों पर आग जल रही थी। इसके बाद हुए सांप्रदायिक दंगे में मारपीट, पथराव, लूटपाट, आगजनी और फायरिंग में 10-12 हिंदू मारे गए थे महीनों कर्फ्यू लगा रहा।

एक दो बार नहीं, संभल में 14 बार हुए हैं दंगे

संभल में आजादी के बाद एक या दो बार नहीं बल्कि कुल 14 बार दंगे हुए हैं जिसमें 1956,1959, और 1966 में यहां हिन्‍दू मुस्लिम विवाद देखने को मिला। इसके बाद 1976 और 1978 में दो बड़े दंगे हुए और इस दौरान बड़ी संख्‍या में लोगों की मौत हुई। दो साल बाद 1980 में यहां फिर हिंसा भड़क गई थी, जिसमें 14 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। 1992 बाबरी मस्जिद विधवंस के दौरान भी संभल में हिंसक घटनाएं देखने को मिलीं।





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