‘कुछ कहता है ये मौसम’, रूठा रहा वसंत, दिसंबर में भी क्यों नहीं पड़ रही कड़ाके की ठंड – India TV Hindi


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दिसंबर में भी क्यों नहीं पड़ रही कड़ाके की सर्दी

दिसंबर की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन अबतक कड़ाके की ठंड पड़नी शुरू नहीं हुई है। अभी तक दिल्ली सहित पूरे उत्तर भारत में सर्दी ने जोर नहीं पकड़ा है। नवंबर का महीना भी सामान्य से अधिक गर्म महसूस हुआ और फिर उसके  बाद दिसंबर में भी सामान्य से अधिक गर्मी पड़ने की संभावना है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक इस साल 8 दिसंबर तक तापमान 26 डिग्री के ऊपर बने रहने के आसार है। इस दौरान 26 या 27 डिग्री पर अधिकतम तापमान रह सकता है। दिल्ली में सितंबर की शुरुआत से ही मौसम शुष्क बना हुआ है। इस बार मानसून की विदाई के बाद से अब तक यहां बारिश भी नहीं हुई है। अक्टूबर से दिसंबर के दौरान आमतौर पर बारिश काफी कम होती है। लेकिन ठंड बढ़ाने के लिए यह काफी अहम होती है।

क्या है इसकी वजह

जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग का असर अब ऋतु चक्र पर भी पड़ने लगा है। क्लाइमेट सेंट्रल के एक नए विश्लेषण से पता चलता है कि भारत में सर्दियों के मौसम में तापमान में चिंताजनक वृद्धि सामने आई है। जहां एक ओर पूरे देश में सर्दियां पहले से गर्म हो रही हैं, वहीं तापमान बढ़ने की दर में भी अलग अलग प्रवृत्ति दिख रही है। इसी कारण उत्तर भारत में वसंत ऋतु के दिनों के घटने का संकेत मिलता है। इसके पीछे वसंत ऋतु की अवधि फरवरी-अप्रैल के बीच तापमान में सामान्य से ज्यादा बढ़ोत्तरी होना है।

सर्दियों में भी गर्मी का एहसास

क्लाइमेंट सेंट्रल का यह अध्ययन देश में सर्दियों के मौसम में असमान तापमान वृद्धि के रुझान को उजागर करता है। कुछ क्षेत्रों में सर्दियों में गर्मी का अनुभव हो रहा है जबकि अन्य क्षेत्रों में एक विपरीत पैटर्न दिखाई दे रहा है, जो चिंता को बढ़ा रहा है। फरवरी के महीने में तापमान में तेजी से वृद्धि, विशेष रूप से उत्तर भारत में, वसंत ऋतु को प्रभावित कर रही है। ऐसे बदलाव से मौसम को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।

भारत से रूठ रहा है वसंत

क्लाइमेंट सेंट्रल का यह अध्ययन साल 1970 से 2023 की अवधि पर केंद्रित है। इसमें पाया गया कि ग्लोबल वार्मिंग (जो मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन जलाने से बढ़ते कार्बन डाईऑक्साइड धुएं से बढ़ रही है) ने भारत के सर्दियों के मौसम (दिसंबर-फरवरी) को काफी प्रभावित किया है। अध्ययन बताता है कि साल 1970 के बाद भारत में सर्दियों के तापमान में वृद्धि देखी गई।

फरवरी में मौसम का पैटर्न नाटकीय रूप से बदला है। फरवरी में सभी क्षेत्रों में गर्मी का अनुभव हुआ, लेकिन विशेष रूप से उत्तर में यह अधिक था, जहां दिसंबर और जनवरी में न के बराबर ठंडक देखी गई। फरवरी में जम्मू और कश्मीर में सबसे अधिक तापमान बढ़ोत्तरी 3.1 डिग्री दर्ज की गई। तेलंगाना में सबसे कम 0.4° डिग्री तापमान वृद्घि दर्ज की गई। फरवरी के तापमान में इस वृद्धि से यह अहसास होता है कि भारत के कई हिस्सों में वसंत अब धीरे धीरे सिमट रहा है।

उत्तर भारत की स्थिति

उत्तर भारत में जनवरी ठंडक या हल्की गर्मी और फरवरी में तेज गर्मी मौसम में तेजी से हो रहे बदलाव का इशारा करते हैं। यह बदलाव वसंत ऋतु को प्रभावी ढंग से संकुचित कर रहा है। राजस्थान जैसे राज्यों में जनवरी और फरवरी के तापमान में 2.6 डिग्री सेल्सियस का अंतर और आठ अन्य राज्यों में 2.0 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा का अंतर दर्ज किया गया है।

तेजी से गर्म हो रहा पूर्वोत्तर भारत

पूर्वोत्तर भारत तेजी से गर्म हो रहा है। मणिपुर में 2.3 डिग्री सेल्सियस और सिक्किम में 2.4 डिग्री सेल्सियस की गर्मी देखी गई। दक्षिणी राज्यों में सर्दियों में सबसे अधिक गर्मी देखी गई है, खासकर दिसंबर और जनवरी में। इसके विपरीत, दिल्ली जैसे उत्तरी क्षेत्रों में दिसंबर में -0.2 डिग्री सेल्सियस, जनवरी में -0.8 डिग्री सेल्सियस और लद्दाख में दिसंबर में 0.1 डिग्री सेल्सियस की मामूली ठंडक देखी गई।

वैश्विक तापमान की निगरानी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले और WMO द्वारा समेकित छह प्रमुख अंतरराष्ट्रीय डेटासेट बताते हैं कि 2023 में वार्षिक औसत वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तरों (1850-1900) से 1.45 ± 0.12 °C अधिक था। जून से दिसंबर के बीच हर महीने वैश्विक तापमान ने नए मासिक रिकॉर्ड बनाए। जुलाई और अगस्त रिकॉर्ड पर दो सबसे गर्म महीने थे।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने दी चेतावनी

विश्व मौसम विज्ञान संगठन के महासचिव प्रो. सेलेस्टे साउलो ने कहा, “जलवायु परिवर्तन मानवता के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। यह हम सभी को प्रभावित कर रहा है, खासकर सबसे कमजोर लोगों को, साउलो ने कहा कि ” मौसम में हो रहे इस बदलाव का इस दुनिया पर गहरा असर पड़ेगा और हम अब और इंतजार नहीं कर सकते। हम पहले से ही इसे लेकर कई कदम उठा चुके हैं  लेकिन हमें और भी बहुत कुछ करना होगा और हमें इसे जल्दी करना होगा। हमें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में भारी कमी करनी होगी और अक्षय ऊर्जा स्रोतों में बदलाव को तेज करना होगा।” 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कही ये बात

इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, “मानव की हरकतें पृथ्वी को झुलसा रही हैं। 2023 तो बस उस भयावह भविष्य की झलक है जो अभी नहीं तो हमारे सामने आने वाला है। हमें रिकॉर्ड तोड़ तापमान वृद्धि का जवाब क्रांतिकारी कार्रवाई से देना चाहिए। उन्होंने एक बयान में कहा, “हम अभी भी जलवायु आपदा के सबसे बुरे दौर से बच सकते हैं लेकिन ऐसा तभी होगा जब हम वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने और जलवायु न्याय सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक महत्वाकांक्षा के साथ काम करेंगे।”


 





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