गड़बड़झाला! 2,988 दवाएं क्वालिटी टेस्ट में रहीं फेल, इतनी तो निकलीं नकली, जानें डिटेल – India TV Hindi


Photo:PIXABAY सरकार नकली और घटिया दवाओं के खिलाफ एक बड़ा अभियान चला रही है।

अगर बीमार होने पर आपको दवा खानी पड़ी है तो हो सकता है उनमें से आपने कुछ घटिया क्वालिटी की दवा भी खाई हो या नकली दवी भी खाई हो। जी हां, सरकार की तरफ से टेस्ट की गई दवाओं के आंकड़े ऐसा सोचने पर मजबूर कर रहे हैं। वर्ष 2023-2024 के सरकारी आंकड़ों में बताया गया है कि क्वालिटी टेस्ट के लिए कुल 1,06,150 दवा नमूनों में से 2,988 को स्टैंडर्ड क्वालिटी का नहीं पाया गया। इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, इस टेस्ट में 282 दवा तो नकली पाए गए।

नकली और घटिया दवाओं के खिलाफ एक बड़ा अभियान जारी

खबर के मुताबिक, नकली दवाओं के निर्माण, बिक्री और डिस्ट्रीब्यूशन के लिए 604 मामलों में अभियोजन शुरू किया गया है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के आंकड़ों के मुताबिक, देश में लगभग 10,500 यूनिट्स हैं जो विभिन्न प्रकार के खुराक रूपों और एपीआई का निर्माण कर रही हैं। सरकार नकली और घटिया दवाओं के खिलाफ एक बड़ा अभियान चला रही है। सरकार विभिन्न राज्यों में दवा कंपनियों पर छापे मार रही है और जो नियमन का उल्लंघन करते पाए गए हैं, उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

इस तरह की कार्रवाई की गई है

इस मामले से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि अब तक 500 से ज्यादा कैम्पस में जोखिम-आधारित निरीक्षण किए जा चुके हैं। इन जोखिम आधारित निरीक्षणों के आधार पर राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरणों द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी करने, उत्पादन रोकने के आदेश, निलंबन, लाइसेंस या प्रोडक्ट लाइसेंस कैंसिल करने जैसी कार्रवाई की गई है। नकली और घटिया दवाओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए डीसीजीआई द्वारा यह कदम उठाया गया था। गैर-अनुपालन करने वाली कंपनियों को बंद कर दिया गया।

लीगल मैनुफैक्चरर के साथ जोड़ने से होता है निगेटिव असर

बीते सितंबर में भारतीय औषधि गठबंधन (आईपीए) ने कहा था कि नकली उत्पादों को लीगल मैनुफैक्चरर के साथ जोड़ने से उनके स्टेटस और फाइनेंस पर गंभीर असर पड़ता है। यह बयान केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की एक रिपोर्ट के बीच आया था। इस रिपोर्ट में 50 से अधिक उत्पादों को मानक गुणवत्ता (एनएसक्यू) के मुताबिक नहीं बताया गया है। सन फार्मा, टोरेंट फार्मा, एल्केम लैबोरेटरीज और ग्लेनमार्क सहित विभिन्न दवा कंपनियों ने केंद्रीय औषधि नियामक प्राधिकरण की रिपोर्ट में चिह्नित दवाओं को नकली बताया थी और कहा था कि इन दवाओं को उन्होंने नहीं बनाया।

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