{“_id”:”675e169e60475aa94302fb33″,”slug”:”according-to-study-sulfur-dioxide-among-air-pollutants-leading-cause-of-increased-risk-depression-2024-12-15″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”चिंताजनक: तनाव-अवसाद की बड़ी वजह वायु प्रदूषण, सल्फर डाइऑक्साइड और काबर्न मोनोऑक्साइड मिलकर होती हैं और खतरनाक”,”category”:{“title”:”India News”,”title_hn”:”देश”,”slug”:”india-news”}}
लम्बे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से लोगों में अवसाद बढ़ रहा है। एक अध्ययन के अनुसार वायु प्रदूषकों में सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ2) अवसाद के बढ़ते जोखिम का सबसे प्रमुख कारण है। इसके साथ ही पार्टिकुलेट मैटर (पीएम2.5) और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे प्रदूषण के कण भी लोगों में निराशा और तनाव भर रहे हैं। आपस में मिलकर यह प्रदूषक कहीं ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं।
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यह अध्ययन हार्बिन मेडिकल यूनिवर्सिटी और क्रैनफील्ड यूनिवर्सिटी से जुड़े शोधकर्ताओं ने किया है और जर्नल एनवायर्नमेंटल साइंस एंड इकोटेक्नोलॉजी में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने चीन के 12,000 से अधिक लोगों के आंकड़ों का अध्ययन कर निष्कर्ष निकाला है कि इन प्रदूषकों के संपर्क में लगातार रहने के दौरान लोगों में अवसाद का स्तर बढ़ता रहा।
एक साथ कई बीमारियां करती हैं परेशान
सल्फर डाइऑक्साइड एक प्रमुख वायु प्रदूषक है। यह गैस त्वचा, आंखों, नाक, गले और फेफड़ों की श्लेष्मा झिल्ली को क्षति पहुंचाती है। इसकी उच्च सांद्रता श्वसन प्रणाली में सूजन और जलन पैदा करती है, खासकर भारी शारीरिक श्रम के दौरान यह और ज्यादा हानिकारक होती है। इसके परिणामस्वरूप होने वाले लक्षणों में गहरी सांस लेते समय दर्द, खांसी, गले में जलन और सांस लेने में कठिनाई शामिल हो सकती है। इन परेशानियों के साथ लंबे समय तक रहने से अवसाद में भी वृद्धि देखी गई है। इसी तरह कार्बन मोनोऑक्साइड क्षोभमंडल में पाया जाने वाला एक प्राथमिक प्रदूषक है। यह रक्त में हीमोग्लोबिन से जुड़ जाती है जिससे रक्त की ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता कम हो जाती है।
यह रक्त में हीमोग्लोबिन से क्रिया कर कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन बनाती है जिसकी वजह से रक्त में ऑक्सीजन की आपूर्ति रुक जाती है। भ्रम और मस्तिष्क तक अपर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचने के कारण चक्कर आना है। बेहोशी जैसे लक्षण दिखते हैं।
भारत समेत पूरी दुनिया के लिए गंभीर चुनौती
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूनिसेफ ने अपनी नई रिपोर्ट में खुलासा किया है कि दुनिया में दस से 19 वर्ष का हर सातवां बच्चा मानसिक समस्याओं से जूझ रहा है। इन समस्याओं में अवसाद, बेचैनी और व्यवहार से जुड़ी समस्याएं शामिल हैं। भारतीय बच्चों और किशोरों में भी बढ़ता डिप्रेशन एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। यह समस्या कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है दिल्ली एनसीआर में पीएम 2.5 का स्तर अक्सर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी मानकों से कई गुना अधिक रहता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक वायु में पीएम 2.5 का वार्षिक औसत स्तर 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए।