छत्तरपुर: किसानों का खेत बना तालाब, सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद



छतरपुर जिले में नहर का पानी छोड़ने से महयाबा गांव के किसानों की सैकड़ों एकड़ की खेतों में खड़ी फसलें डूब गई. इससे लाखों रुपए का नुकसान हो गया. किसानों का कहना हैं कि सिंचाई विभाग की लापरवाही से हमारी फसलें बर्बाद हुई हैं.

किसान स्वतंत्र शास्त्री बताते हैं कि हर साल खेतों में पानी भरता है. इस बार ज्यादा एकड़ में पानी भर गया है. हर साल 250 एकड़ खेत में पानी भर जाता है. हमारे 7-8 एकड़ खेत में मटर, गेहूं था, जो बर्बाद हो गया है.

15 दिन से खेत में भरा है पानी
किसान राजेन्द्र पचौरी ने कहा कि 5 एकड़ में गेहूं की बुवाई की थी. 15 दिन से पानी भरा पड़ा है. खेत से पानी निकाल भी देंगे तो भी कोई मतलब नहीं है. मेरा ही खेत नहीं डूबा है. इसमें कई किसानों की खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं.

9 बीघा मटर की खेत में भर गया पानी
युवा किसान रवि तिवारी बताते हैं कि हर साल हमारे खेत में साढ़े 4 बीघा में पानी भरता था. लेकिन इस बार अधिक 4 बीघा खेत में पानी भर गया है. लगभग 9 बीघे में 13 हजार रुपए क्विंटल भाव वाले हरे मटर की बुवाई की थी. 7 से 8 बार जुताई की थी, लेकिन अब सब बर्बाद हो गया.

सीएम को किसान बता चुकें हैं अपनी पीड़ा
किसान राजेन्द्र सिंह यादव बताते हैं कि 3 खेत डूब गए हैं. 12 बीघा में चना, मटर की बुवाई की थी. 1 लाख रुपए का नुकसान हो गया है. हर साल खेत डूब जाते हैं. इस बात हम लोग मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंप करके बता चुके हैं.

इस वजह से खेतों में भरता है पानी
किसानों के मुताबिक नहर का पानी कच्ची नाली से आता है. यह कच्ची नाली अधूरी है, जिस वज़ह से आगे का पानी निकल नहीं पाता है. फिर यही पानी खेतों में चला जाता है. किसान बताते हैं कि इस कच्ची नाली को आगे तालाब तक या नदी तक बढ़ा दिया जाए ताकि भविष्य में पानी का निकास बनने से किसानों के खेत न भरें.

मामले को लेकर अधिकारी ने ये कहा 
मौके पर निरीक्षण करने आए अधिकारी सीके जैन बताते हैं कि ये पानी किस कारण से भरा है, ये पता करने आए हैं. पानी को निकालने के लिए कुछ सालों पहले बंबी (कच्ची नाली) का निर्माण किया गया था. लेकिन गांव के कुछ किसानों ने पूरी नाली नहीं बनने दी, जिस वजह से कच्ची नाली अधूरी रह गई. किसानों की मांग थी कि नाली पक्की बनें. किसान कहेंगे तो पानी खेतों से निकालेंगे.

टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से बनेगी पक्की नाली
लालाभाई तिवारी बताते हैं कि इसका काम मैं देखता था, लेकिन जब कच्ची नाली बन रही थी तो कुछ किसानों ने पूरी नाली नहीं बनने दी. इस वज़ह से नाली अधूरी ही बंद करनी पड़ी. नहर का पानी नाली से आता है और आगे पानी न जाने के कारण पानी खेतों में आ जाता है. पक्की नाली के लिए टेंडर प्रक्रिया होगी, इसके बाद ही यहां पूरी पक्की नाली बन पाएगी.

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