प्रधानमंत्री मोदी ने विजय दिवस पर दी वीरों को श्रद्धांजलि – India TV Hindi


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पीएम मोदी

आज पूरा देश 1971 की जंग में मिली जीत को याद करते हुए विजय दिवस मना रहा है। 1971 की जंग में भारतीय सेना से पाकिस्तानी सेना को घुटने के बल लाकर उन्हें सरेंडर करवाया था। साथ ही पूर्वी पाकिस्तान को पाकिस्तानी क्रूरता से छुटकारा दिलाया था और आज के बांग्लादेश को आजादी दिलाई थी। इस दौरान भारतीय सेना ने 93000 पाकिस्तानी सैनिकों को सरेंडर करवाया था, जो सेंकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद सबसे बड़ी संख्या थी। इसी को लेकर आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1971 के जंग में शामिल जवानों को श्रद्धांजलि दी है। साथ ही रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने जवानों को सलाम किया।

PM मोदी ने दी श्रद्धांजलि

पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा, “आज विजय दिवस पर हम उन बहादुर सैनिकों के साहस और बलिदान का सम्मान करते हैं जिन्होंने 1971 में भारत की ऐतिहासिक जीत में योगदान दिया। उनके निस्वार्थ समर्पण और अटूट संकल्प ने हमारे देश की रक्षा की और हमें गौरव दिलाया। यह दिन उनकी असाधारण वीरता और उनकी अडिग भावना को श्रद्धांजलि है। उनका बलिदान हमेशा पीढ़ियों को प्रेरित करेगा और हमारे देश के इतिहास में गहराई से समाया रहेगा।”

रक्षा मंत्री राजनाथ ने कही ये बात

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस दिन को याद करते हुए ट्वीट किया, “आज विजय दिवस के खास मौके पर देश भारत के सशस्त्र बलों की बहादुरी और बलिदान को सलाम करता है। उनके अटूट साहस और देशभक्ति ने सुनिश्चित किया कि हमारा देश सुरक्षित रहे। भारत उनके बलिदान और सेवा को कभी नहीं भूलेगा।” 

आर्मी ने शेयर किया गौरवान्वित करने वाला वीडियो

इसे लेकर आज इंडियन आर्मी ने भी एक वीडियो शेयर किया, जिसमें भारतीय सेना के जीत की झलकियां है। साथ ही एक मैसेज भी लिखा। इंडियन आर्मी के एक्स हैंडल पर लिखा गया, “विजय दिवस 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारतीय सशस्त्र बलों की निर्णायक जीत का प्रतीक है, एक ऐसी जीत जिसने भारत के सैन्य इतिहास को नया आकार दिया और एक नए राष्ट्र बांग्लादेश को जन्म दिया, जबकि पाकिस्तान के लोगों पर लगातार अत्याचार और क्रूरता को समाप्त किया। 

आगे लिखा कि केवल 13 दिनों में, भारतीय सशस्त्र बलों ने रणनीतिक प्रतिभा, असाधारण बहादुरी और अटूट संकल्प का प्रदर्शन किया, जिसके कारण 93,000 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों को पूरी तरह से परास्त किया गया और अब तक के सबसे बड़े सैन्य आत्मसमर्पण में से एक हुआ। यह तारीख भारत की अपने मित्रों के प्रति प्रतिबद्धता और अपने दुश्मनों के लिए एक दृढ़ चेतावनी के रूप में कार्य करती है।

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