भारत के नए CAG ने ली शपथ, जानें कौन बने अगले नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक – India TV Hindi


Photo:PRESIDENT OF INDIA X POST राष्ट्रपति भवन के गणतंत्र मंडप में गुरुवार को एक समारोह में के संजय मूर्ति को नए CAG के रूप में शपथ दिलाती हुईं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू।

भारत के नए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के रूप में के संजय मूर्ति ने गुरुवार को शपथ ले ली है। पूर्व उच्च शिक्षा सचिव के संजय मूर्ति को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के रूप में शपथ दिलाई। पीटीआई की खबर के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश कैडर के 1989 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी मूर्ति, गिरीश चंद्र मुर्मू का स्थान लेंगे। मूर्ति को सोमवार को केंद्र सरकार ने नया सीएजी नियुक्त किया था।

गिरीश चंद्र मुर्मू का बुधवार को खत्म हुआ कार्यकाल

खबर के मुताबिक, गिरीश चंद्र मुर्मू ने बुधवार को भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया। राष्ट्रपति कार्यालय ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति भवन के गणतंत्र मंडप में  21 नवंबर की सुबह 10 बजे आयोजित एक समारोह में के संजय मूर्ति ने भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के रूप में शपथ ली। उन्होंने राष्ट्रपति के समक्ष पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल समेत अन्य लोग मौजूद थे।

कैग की क्या होती है भूमिका

भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक राष्ट्रीय और राज्य सरकारों के व्यय के बाह्य और आंतरिक लेखापरीक्षा के लिए जिम्मेदार सर्वोच्च प्राधिकरण है। इसे भारत के CAG के रूप में जाना जाता है। इसकी भूमिका भारतीय संविधान के प्रावधानों और वित्तीय प्रशासन के क्षेत्र में संसद द्वारा बनाए गए कानूनों को बनाए रखना है। वित्तीय प्रशासन के क्षेत्र में संसद के प्रति कार्यपालिका (यानी मंत्रिपरिषद) की जवाबदेही CAG रिपोर्ट के माध्यम से सुरक्षित की जाती है। यह कार्यालय संसद के प्रति उत्तरदायी है और उसका प्रतिनिधि है और उसकी तरफ से व्यय का ऑडिट करता है।

संविधान के अनुच्छेद 149 में संसद को संघ और राज्यों और किसी दूसरे प्राधिकरण या निकाय के खातों के संबंध में CAG के कर्तव्यों और शक्तियों को निर्धारित करने के लिए कानूनी आधार प्रदान किया गया है। कैग कर्तव्य, शक्तियां और सेवा की शर्तें अधिनियम, 1971 में संसद में पारित किया गया था। भारत सरकार में लेखाओं को लेखापरीक्षा से अलग करने के लिए इस अधिनियम को 1976 में संशोधित किया गया था।

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