भीमराव आंबेडकर के सपनों को साकार कर रही मोदी सरकार, अब तक किए ये बड़े काम – India TV Hindi
भारत के संविधान निर्माता डॉ. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को लेकर संसद में आज खूब बहस देखने को मिली। कांग्रेस पार्टी व उनके नेताओं का कहना था कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बाबा साहेब पर गलत टिप्पणी की है, इसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए। इसी मामले पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने बाबा साहब का अपमान नहीं किया बल्कि बाबा साहेब का अपमान लगातार कांग्रेस करती रही है। लेकिन बाबा साहब का दृष्टिकोण क्या था? भारत के संविधान के निर्माता डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने एक ऐसे समाज की कल्पना की थी जो सामाजिक और आर्थिक समानता को बढ़ावा दे, खास तौर पर वंचित और पिछड़े वर्गों के लिए। उनकी दृष्टि, जो “अंत्योदय” की अवधारणा में समाहित थी, का उद्देश्य सबसे गरीब लोगों का उत्थान करना और संपन्न और वंचितों के बीच की खाई को पाटना था।
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के दृष्टिकोण के विभिन्न पहलू
1. आरक्षण: अंबेडकर ने शिक्षा और रोजगार में पिछड़े वर्गों के लिए प्रतिनिधित्व और अवसर सुनिश्चित करने के लिए आरक्षण नीतियों की वकालत की।
2. आर्थिक सशक्तिकरण: उन्होंने गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों की आजीविका में सुधार के लिए आर्थिक विकास की आवश्यकता पर जोर दिया।
3. सामाजिक न्याय: अंबेडकर के दृष्टिकोण ने सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के महत्व पर जोर दिया, खासकर महिलाओं और दलितों के लिए।
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के दृष्टिकोण पर भारत सरकार की पहल
भारत सरकार ने अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों को सशक्त बनाने के लिए कई प्रभावशाली पहल की हैं, जिनमें शिक्षा, आर्थिक विकास, सामाजिक कल्याण और कानूनी सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इन प्रयासों का उद्देश्य ऐतिहासिक असमानताओं को दूर करना, जीवन स्तर में सुधार करना और समावेशिता को बढ़ावा देना है।
1. आर्थिक सशक्तिकरण
- सरकार ने आर्थिक उत्थान के उद्देश्य से कई योजनाएं लागू की हैं। उदाहरण के लिए, मुद्रा योजना और ‘स्टैंड अप इंडिया’ कार्यक्रम ने एससी और एसटी समुदायों के लोगों को नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी देने वाले बनने में सक्षम बनाया है। मुद्रा योजना के 50% से अधिक लाभार्थी एससी, एसटी और अन्य पिछड़े वर्गों से हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आए हैं और रोजगार को बढ़ावा मिला है।
- राष्ट्रीय एससी/एसटी हब का उद्देश्य अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों की उद्यमशीलता क्षमताओं को बढ़ाना, उनके आर्थिक सशक्तिकरण और रोजगार सृजन को बढ़ावा देना है। 31 अक्टूबर 2024 तक कुल 1,34,818 एससी-एसटी लाभार्थियों को सहायता प्रदान की गई। वित्त वर्ष 2023-2024 में 11,488 एससी/एसटी स्वामित्व वाले एमएसई से 1721.62 करोड़ रुपये की खरीद की गई।
- राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम (एनएसकेएफडीसी): यह अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों को स्वरोजगार और उद्यमिता जैसी आय-उत्पादक गतिविधियों के लिए ऋण सुविधा प्रदान करता है।
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम (एनएसएफडीसी): यह गरीबी रेखा से दोगुने से नीचे जीवन यापन करने वाले अनुसूचित जाति के लाभार्थियों की आय-उत्पादक गतिविधियों को वित्तपोषित करता है।
- अंबेडकर युवा उद्यमी लीग (एवाईईएल): आईएफसीआई वेंचर कैपिटल फंड्स ने एवाईईएल के 67 विजेताओं को मान्यता दी, यह एक प्रतियोगिता है जो युवा एससी उम्मीदवारों से अभिनव व्यावसायिक विचारों को प्रोत्साहित करती है। यह पहल एससी युवाओं के बीच उद्यमशीलता और आर्थिक सशक्तीकरण को बढ़ावा देती है, जो अंबेडकर के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
2. शैक्षिक पहल
- एससी और एसटी समुदायों के लिए शिक्षा में महत्वपूर्ण निवेश किया गया है। इन समुदायों के बीच शिक्षा के लिए बजट आवंटन 1,100 करोड़ रुपये से बढ़कर 6,000 करोड़ रुपये हो गया है।
- एकलव्य मॉडल स्कूल पहल का उद्देश्य इन समुदायों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए 452 नए स्कूल बनाना और 211 मौजूदा स्कूलों का नवीनीकरण करना है।
- उच्च शिक्षा पर हाल ही में किए गए अखिल भारतीय सर्वेक्षण से पता चलता है कि हाशिए पर पड़े समुदायों- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों का अनुपात पिछले पांच वर्षों में राष्ट्रीय औसत से आगे निकल गई हैं। एसटी छात्रों में सबसे अधिक वृद्धि, 41.6% की वृद्धि; हाशिए के समुदायों के छात्रों की संख्या 2017-18 में 52.8 लाख से बढ़कर 2021-22 में 66.22 लाख हो गई।
- एसटी छात्रों की उच्च शिक्षा के लिए राष्ट्रीय फैलोशिप और छात्रवृत्ति: इस योजना के लिए बजट आवंटन 2023-24 में ₹145 करोड़ से 13.7% बढ़कर 2024-25 में ₹165 करोड़ हो गया है।
- सरकार ने SHRESHTA (लक्षित क्षेत्रों में उच्च विद्यालयों में छात्रों के लिए आवासीय शिक्षा योजना) पहल (2023) के माध्यम से 2500 से अधिक अनुसूचित जाति (एससी) के छात्रों को निजी स्कूलों में प्रवेश की अनुमति दी है।
3. बुनियादी ढांचे का विकास
- सरकार ने 7,300 करोड़ रुपये के व्यय के साथ बहुसंख्यक एसटी आबादी वाले गांवों को “आदर्श गांवों” के रूप में विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया है। इसमें बुनियादी सुविधाओं और बुनियादी ढांचे में सुधार शामिल है, जिसका इन समुदायों के जीवन की गुणवत्ता पर सीधा सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
उपलब्धियां:
कई एससी/एसटी आदर्श गांवों ने शिक्षा में उल्लेखनीय सुधार की सूचना दी है, जिसमें नामांकन दर में वृद्धि, बेहतर बुनियादी ढांचे और बेहतर शिक्षक प्रशिक्षण शामिल हैं। उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश के एक गांव में, एससी/एसटी छात्रों के बीच साक्षरता दर 30% से बढ़कर 70% हो गई है।
4. सामाजिक न्याय
- सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को उजागर करने के लिए कदम उठाए हैं, जिन्हें पहले नजरअंदाज किया जाता था। इससे इन समुदायों के बीच गर्व और मान्यता की भावना को बढ़ावा देने में मदद मिली है।
- सरकार ने अपने स्थापना दिवस को चिह्नित करने के लिए ‘सामाजिक न्याय पखवाड़ा’ (सामाजिक न्याय को समर्पित पखवाड़ा) मनाया है, जिसमें सामाजिक असमानताओं को दूर करने और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को उजागर किया गया है।
- सरकार ने अस्पृश्यता को मिटाने के लिए विनय समरया योजना और गंगा कल्याण योजना जैसी योजनाएं भी शुरू की हैं।
- एससी/एसटी मठों और संस्थाओं का जीर्णोद्धार और विकास: सरकार ने सामाजिक और शैक्षणिक क्षेत्रों में योगदान देने वाले एससी/एसटी मठों और संस्थाओं के जीर्णोद्धार और विकास के लिए विशेष सहायता प्रदान की है। इस कदम का उद्देश्य इन समुदायों की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देना है।
- एससी/एसटी अधिनियम की बहाली: 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी/एसटी अधिनियम को कमजोर करने के बाद, सरकार ने संसद में अधिनियम को उसके मूल स्वरूप में बहाल कर दिया, जिससे अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को अत्याचारों से निरंतर सुरक्षा सुनिश्चित हुई।
5. आरक्षण
आरक्षण का विस्तार: भाजपा सरकार ने सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण को 2030 तक बढ़ा दिया है। यह कदम सार्वजनिक क्षेत्र के रोजगार में इन समुदायों के लिए निरंतर प्रतिनिधित्व और अवसर सुनिश्चित करता है।
- इन कदमों ने सामूहिक रूप से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के सशक्तिकरण और उत्थान में योगदान दिया है, जिससे उन्हें समाज की मुख्यधारा में पूरी तरह से एकीकृत होने में मदद मिली है।
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