सिर्फ 15 मिनट में बनता था आयुष्मान कार्ड, पीएम जनआरोग्य योजना में 16 करोड़ का घोटाला – India TV Hindi


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पीएम जनआरोग्य योजना में 16 करोड़ का घोटाला

अहमदाबाद: प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना (PMJAY), जिसे आमतौर पर आयुष्मान भारत योजना के नाम से जाना जाता है, का उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा देना है। लेकिन अब यह योजना एक घोटाले का शिकार हो गई है, जिसमें कई लोगों के जीवन से खेला गया। गुजरात के अहमदाबाद में एक बड़ा स्वास्थ्य घोटाला सामने आया है, जिसमें फर्जी तरीके से आयुष्मान कार्ड बनाकर लोगों के ऑपरेशन किए गए। इस घोटाले के कारण दो लोगों की मौत हो गई और सात लोगों की जिंदगी भी खतरे में पड़ गई।

कैसे हुआ ये घोटाला?

अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक गिरोह के 8 लोगों को गिरफ्तार किया है, जो 1500 रुपये लेकर 15 मिनट में किसी का भी आयुष्मान कार्ड बना देते थे। इस गिरोह में अस्पताल मालिक, डॉक्टर और आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए अधिकृत वेंडर शामिल थे। यह गिरोह लोगों का स्वास्थ्य चेकअप कैंप लगाकर, उन्हें फर्जी बीमारियों का शिकार बताकर अस्पताल में भर्ती कर देता था। इसके बाद, अगर मरीज के पास आयुष्मान कार्ड था, तो उसे तुरंत ICU में भर्ती किया जाता था और ऑपरेशन कर दिया जाता था। यदि मरीज के पास कार्ड नहीं था, तो उसे इमरजेंसी के नाम पर कार्ड बनवाया जाता था, और फिर ऑपरेशन कर दिया जाता था। इसके बाद, सारे बिल सरकार को भेजकर पैसा निकाल लिया जाता था।

कितना बड़ा घोटाला हुआ?

अब तक इस गिरोह ने लगभग 3000 आयुष्मान कार्ड बनाए हैं और इसके जरिए प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना के तहत 16 करोड़ रुपये निकाल चुका है। जांच में यह भी सामने आया कि ख्याति हॉस्पिटल का मालिक, अस्पताल के डॉक्टर, और कुछ एजेंसी के कर्मचारी इस गिरोह में शामिल थे। इस मामले के पर्दाफाश के बाद, पुलिस ने ख्याति अस्पताल को ब्लैकलिस्ट कर दिया है और इस घोटाले में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।

आयुष्मान कार्ड बनवाने की प्रक्रिया का फायदा उठाया गया

आयुष्मान योजना के तहत, सरकार गरीबों को पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज देने का वादा करती है। यह योजना उन लोगों के लिए है जो खाद्य सुरक्षा योजना या किसी अन्य सरकारी योजना में रजिस्टर्ड होते हैं। आमतौर पर आयुष्मान कार्ड बनाने की प्रक्रिया काफी सरल होती है। अगर किसी का नाम सरकारी योजना में दर्ज होता है, तो केवल आधार कार्ड की कॉपी अपलोड करने से कार्ड बन जाता है। लेकिन इस घोटाले में, एजेंसी और अस्पताल के मालिक ने इस प्रक्रिया का गलत तरीके से फायदा उठाया।

कैसे होती थी घपलेबाजी

दरअसल गरीबों को आयुष्मान कार्ड बनाने में दिक्कत न हो, इसलिए आवेदन करने की प्रक्रिया बेहद साधारण है। अगर किसी का नाम खाद्य सुरक्षा योजना या गरीबों के लिए चलने वाली किसी भी योजना के तहत दर्ज है, तो आयुष्मान पोर्टल पर जाकर सिर्फ आधार कार्ड की कॉपी अपलोड करनी पड़ती है। अगर डेटा मैच हो गया तो तुरंत आयुष्मान कार्ड बन जाता है। लेकिन अगर किसी का डेटा मैच न हो या फिर उसका नाम किसी योजना में रजिस्टर न हो तो ऐसे लोगों को अपने डॉक्यूमेंट के वेरिफिकेशन के लिए आयुष्मान कार्ड सेंटर जाना होता है।

डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन का काम सरकार ने प्राइवेट एजेंसीस को दे रखा है। गुजरात में ये काम Enser Communication Pvt. Ltd के पास है। ख्याति हॉस्पिटल के मालिक ने इस एजेंसी के साथ सांठगांठ कर रखी थी। जिन लोगों के पास आयुष्मान कार्ड नहीं होता था, उन्हें भर्ती करने के बाद सबसे पहले इस एजेंसी के पास उनके दस्तावेज भेजे जाते थे। इसके बाद 15 मिनट में आयुष्मान कार्ड बनकर आ जाता था। बात इतनी ही नहीं जिन लोगों का आयुष्मान कार्ड बनाया जाता वे शारीरिक रूप से स्वस्थ होते। इसके बाद आयुष्मान योजना के तहत ऑपरेशन किया जाता था। क्राइम ब्रांच के ज्वाइंट कमिश्नर शरद सिंघला ने कहा कि उन्होंने आरोपियों की कहानी का सच जानने के लिए अपना आयुष्मान कार्ड बनाने को कहा तो आरोपियों ने 15 मिनट में ज्वाइंट कमिश्नर का आयुष्मान कार्ड बनाकर दे दिया।

गुजरात में इस घोटाले का पर्दाफाश कैसे हुआ?

गुजरात पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की जांच में यह मामला सामने आया। अहमदाबाद के ज्वाइंट कमिश्नर शरद सिंघला ने अपने आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए आरोपियों से संपर्क किया और उन्हें 15 मिनट में कार्ड तैयार कर दिया गया। इस घटना के बाद, पुलिस ने इस गिरोह के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी। इसके अलावा, आयुष्मान कार्ड बनाने वाली कंपनी Enser Communication Pvt. Ltd के कर्मचारियों ने भी भ्रष्टाचार के तहत कार्ड बनाने का काम किया था।

क्या हुआ अस्पताल में?

ख्याति हॉस्पिटल ने कई हेल्थ चेकअप कैंप लगाए थे, जिनमें से कुछ मेहसाणा के बोरीसाणा गांव में आयोजित किए गए थे। इन कैंपों में डॉक्टरों ने लोगों को यह बता दिया कि उनके दिल में समस्याएं हैं और उन्हें एंजियोप्लास्टी की आवश्यकता है। इसके बाद, सात मरीजों को ऑपरेशन किया गया और उनमें से दो की ऑपरेशन के बाद मौत हो गई। जब मरीजों के परिजनों ने इस घटना पर हंगामा किया, तो यह मामला सामने आया।

सिस्टम में खामियां और सुधार की आवश्यकता

इस घोटाले के खुलासे के बाद, केंद्र सरकार ने आयुष्मान योजना के पोर्टल को अपडेट किया और सुनिश्चित किया कि भविष्य में ऐसे मामलों को रोका जा सके। इसके अलावा, गुजरात के सभी अस्पतालों का ऑडिट किया जा रहा है और दो अस्पतालों का लाइसेंस सस्पेंड किया गया है। इस घोटाले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि भ्रष्टाचार करने वाले लोग किसी भी योजना का फायदा उठा सकते हैं और इसके जरिए आम लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर सकते हैं।

मरीजों के परिजनों का आरोप

मरीजों के परिजनों ने बताया कि अस्पताल ने बिना किसी अनुमति के ऑपरेशन किया और इसके लिए उनसे अतिरिक्त पैसे भी वसूले। एक मरीज के बेटे ने बताया कि उनके पिता का ऑपरेशन बिना उनकी सहमति के किया गया और 14 हजार रुपये अलग से वसूले गए। इस पूरे मामले के दौरान, अस्पताल के मेडिकल प्रशासन से संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने जवाब देने से इंकार कर दिया और कहा कि वे जांच के दौरान पुलिस से ही बात करेंगे।

योजना में सुधार की जरूरत

यह घोटाला यह साबित करता है कि आयुष्मान योजना का उद्देश्य नेक था, लेकिन भ्रष्टाचार और लालच ने इसे बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया। सरकार को इस प्रकार के मामलों पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए, ताकि गरीबों को मिलने वाली चिकित्सा सुविधाएं सही मायने में उन्हें मिल सकें। अगर किसी को इस योजना में गड़बड़ी का सामना हो या कोई भी योजना का दुरुपयोग देखे, तो उन्हें इसकी सूचना सरकार को देनी चाहिए।





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