Starlink को लेकर क्यों बढ़ी Airtel-Jio की टेंशन? जानें कैसे बिना नेटवर्क के चलेगा नेट – India TV Hindi


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Starlink की सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस जल्द भारत में लॉन्च हो सकती है। दूरसंचार नियामक (TRAI) भारत में सैटेलाइट कम्युनिकेशन के लिए जल्द स्पेक्ट्रम का आवंटर करेगी। इसके लिए अगले महीने 15 दिसंबर तक चीजों को फाइनलाइज किया जाएगा। Elon Musk की इस सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस ने भारतीय टेलीकॉम ऑपरेटर्स Airtel और Jio की टेंशन बढ़ा दी है। मस्क की कंपनी ने अक्टूबर 2022 में भारत में अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू करने को लेकर आवेदन दिया था। Starlink के अलावा Jio, Airtel, Amazon और Vi भी अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू करने की रेस में है।

Starlink की सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस फिलहाल दुनिया के कई देशों में लाइव हो गई है। इस सर्विस में यूजर्स बिना किसी मोबाइल नेटवर्क और सिम कार्ड के भी कॉलिंग कर सकते हैं। साथ ही, यूजर्स को हाई स्पीड इंटरनेट की भी सुविधा मिलेगा। एलन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस अन्य कंपनियों की सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के मुकाबले अलग होगी। साथ ही, यूजर्स को बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी मिलने की संभावना है।

Starlink कैसे काम करता है?

ज्यादातर सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस एक ही जियोस्टेशनरी सैटेलाइट के जरिए प्रदान की जाती है, जो जमीन की सतह से 35,786 किलोमीटर की ऊंचाईं पर स्थित होते हैं। अधिक ऊंचाई पर होने की वजह स इस सैटेलाइट की लैटेंसी काफी ज्यादा होती है, जो स्ट्रीमिंग, वीडियो गेमिंग और वीडियो कॉलिंग आदि को लगभग नामुमकिन बनाते हैं यानी यूजर्स को इंटरनेट एक्सेस करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

40 हजार से ज्यादा छोटे सैटेलाइट

वहीं, Starlink के सैटेलाइट जमीन से महज 550 किलोमीटर की ऊंचाई पर मौजूद हैं। यूजर्स के डिवाइस को लोअर अर्थ ऑर्बिट में मौजूद इन सैटेलाइट से कनेक्टिविटी मिलती रहती है, जिसकी वजह से लो लैटेंसी रहती है और इंटरनेट एक्सेस करने में दिक्कत नहीं होती है। एलन मस्क की कंपनी ने लोअर अर्थ ऑर्बिट में टैबलेट की साइज के 42,000 के करीब सैटेलाइट छोड़े हैं, जो इंटरनेट कनेक्टिविटी और बेहतर नेटवर्क कवरेज में मदद करते हैं। हालांकि, Starlink के अलावा Airtel OneWeb, BSNL-Viasat और Amazon Kuiper जैसे सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस भी लोअर अर्थ ऑर्बिट में काम करते हैं।

इस तरह मिलेगी इंटरनेट कनेक्टिविटी

Starlink ने एक बड़े सैटेलाइट की जगह हजारों छोटे सैटेलाइट का इस्तेमाल किया है। स्टारलिंक की सैटेलाइट सर्विस का इस्तेमाल करने के लिए यूजर को एक एंटिना इस्टॉल करना पड़ता है, जो सैटेलाइट से आने वाले सिग्नल को कैप्चर करता है और इंटरनेट एक्सेस प्रदान करता है। रिपोर्ट्स की मानें तो स्टारलिंक की सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस में यूजर्स को 150Mbps तक की स्पीड से इंटरनेट एक्सेस करनी की सुविधा मिलती है। यूजर्स बिना किसी रूकावट के इस स्पीड से इंटरनेट एक्सेस कर सकते हैं। साथ ही, यूजर्स बिना किसी मोबाइल नेटवर्क और सिम कार्ड के भी कॉलिंग कर सकेंगे।

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