विजय दिवस: युद्ध में भाई को खोया, शक्कर पारे-बिस्कुट खाकर दुश्मन को दी मात, पढ़ें शूरवीरों की शौर्य गाथा



जयसिंह, पुरुषोतम ठाकुर, जगदीश वर्मा, अमर सिंह।
– फोटो : अमर उजाला

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1971 की जंग में भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी। 16 दिसंबर 1971 को ऐतिहासिक जीत हासिल की। इसके फलस्वरूप बांग्लादेश का उदय हुआ। भारतीय सेना की जांबाजी के आगे पाकिस्तानी सेना ने महज 13 दिन में घुटने टेक दिए थे। इस युद्ध मे देश के 3800 से ज्यादा शूरवीरों ने शहादत का जाम पिया। हिमाचल के करीब 190 सैनिकों ने प्राणों की आहुति दी थी। युद्ध में किसी ने भाई को खोया तो किसी ने शक्कर पारे, बिस्कुट खाकर दुश्मन को मात दी। पूर्व सैनिकों की ऐसी हैं स्मृतियां:

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तीन ने युद्ध में लड़ा, एक भाई शहीद हो गया

बिलासपुर जिले की ग्राम पंचायत निष्हान के गांव कुजेल के निवासी सुबेदार मंजर जयसिंह ने 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध की यादों को ताजा करते हुए बताया कि वह तीन भाई थे और तीनों काई में हिस्सा लिया। हालांकि छोटे भाई रतन राम युद्ध में हो गए। जय सिंह ने बताया कि वह 1966 में भर्ती हुए थे। उनकी पहली तैनाती अगरतला में हुई। वहां से उन्हें मिलिट्री पुलिस में भेजा गया और फिर गुवाहाटी (असम) से ढाका भेजा गया। उन्होंने बताया कि हमारी टुकड़ी ने पाकिस्तानी सैनिकों के हौसले पस्त कर दिए। युद्ध के दौरान मन में एक ही संकल्प था जंग में जीतकर ही लौटना है। उन्होंने  बताया कि यह युद्ध 3 दिसंबर 1971 को 3 दिन चला। 16 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। यदि युद्ध विराम की घोषणा न होती, तो हम कुछ ही दिनों में पाकिस्तान के और हिस्सों पर कब्जा कर लेते। हमारे सैनिकों में अद्भुत ऊर्जा और गुस्सा था जो हमें हर बार जीत की ओर ले गया। यह ऐसा युद्ध था जिसमें इतने बड़े पैमाने पर सेना को समर्पण करना पड़ा। 

 



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