Amazing Animal: अपने बच्चों के साथ भेदभाव करते हैं ये खूबसूरत तोते, छोड़ देते हैं कुछ को मरने के लिए
दुनिया में कई जानवर ऐसे हैं जो अपने बच्चों की देखभाल के लिहाज से बहुत अच्छे नहीं होते हैं. कुछ तो खुद के ही बच्चों को खा जाने के लिए बदनाम हैं. पर इनमें एक अनोखा पक्षी भी शामिल है जो हैरान करता है क्योंकि वह अपने प्यार और वफ़ादारी के लिए जाना जाता है. स्कार्लेट मैका या लाल तोते जो अपने इंद्रधनुषी पंखों के लिए मशहूर हैं, अपने चूज़ों के साथ भेदभाव करते हैं और अक्सर कुछ बच्चों को छोड़ देते हैं. नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इस बर्ताव का पता लगने पर यह जानने का भी प्रयास किया है कि ऐसा क्यों होता है और इसे कैसे रोका जा सकता है, जिससे इनकी प्रजाति पर खत्म होने का खतरा कम हो सके.
बच्चों के साथ पक्षपात
टेक्सास ए एंड एम कॉलेज ऑफ़ वेटरनरी मेडिसिन एंड बायोमेडिकल साइंसेज के शोधकर्ताओं के इस अध्ययन से पता चला है कि स्कार्लेट मैका अपने बच्चों के साथ पक्षपात करते हैं. यह उनके स्वभाव का एक क्रूर पहलू है. लेकिन जब वैज्ञानिकों ने इस बात का कारण पता लगाया वह भी कम चौंकाने वाला नहीं था.
स्कार्लेट मैका के पसंदीदा चूजे होते हैं लेकिन
ऐसा नहीं है कि ये लाल तोते बच्चों को पसंद नहीं करते हैं या उनकी देखभाल कर नहीं सकते या करना ही नहीं चाहते हैं. ये भरपूर संसाधनों के बावजूद, जानबूझकर अपने सबसे छोटे चूजों को खाना नहीं देते. इस घोर पक्षपात के कारण केवल एक या दो चूजे ही जिंदा रहने की कला सीख पाते हैं, जबकि चार चूजों तक के बच्चों पर विचार नहीं किया जाता.
स्कार्लेट मैका के बारे में मिसाल दी जाती है कि वे अपने साथी के प्रति जीवन भर वफादार रहते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
ज्यादा पैदा होते हैं बच्चे
VMBS के पशु चिकित्सा रोगविज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. डोनाल्ड ब्राइटस्मिथ ने कहा, वैज्ञानिकों को सालों से पता है कि स्कार्लेट मैका जितने बच्चों को पालते हैं उससे कहीं अधिक बच्चे पैदा करते हैं. हमने पाया कि स्कार्लेट मैका के बच्चों में 26% दूसरे चूजे और लगभग सभी तीसरे और चौथे चूजे बच्चे पैदा करने से पहले ही मर जाते हैं.”
एक अलग सी बात
हैरानी की बात लगती है कि ऐसे प्यारे जीव अपने बच्चों को मरने के लिए कैसे छोड़ सकते हैं? वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा लगता है कि इन पक्षियों के लिए माता-पिता का की भूमिका कम जटिल नहीं है. शूबोट सेंटर फॉर एवियन हेल्थ की एक प्रमुख शोधकर्ता डॉ. गैब्रिएला विगो-ट्राउको ने एक प्रासंगिक तथ्य पर ध्यान दिया. हर चूजा एक ही दिन नहीं निकलता क्योंकि स्कार्लेट मैका एक लंबी अवधि तक अंडे देते हैं.
स्कार्लेट मैका केवल अपने पहले बच्चे की ही अच्छे से देखभाल करते देखे जाते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
और इस बात पर नहीं गया था किसी का ध्यान
अंडे से बच्चों का अलग अलग दिन निकलना माता-पिता के भोजन संबंधी फैसलों पर असर डालता है. एक ऐसी रणनीति जिसके बारे में किसी ने नहीं सोचा था. जब अंडे से निकलने की अवधि चार या उससे अधिक दिनों तक अलग होती है, ऐसे में हर चूजे के लिए माता-पिता की देखभाल अलग-अलग होने लगती है. यह अंतर सबसे छोटे चूजों की भयावह उपेक्षा और उसके बाद भूख से मरने का कारण बनता है.
मैका चूजों के लिए “पालक माता-पिता”
इन नतीजों को देखते हुए , टेक्सास ए एंड एम के वैज्ञानिकों ने इस समस्या से निपटने के लिए एक उपाय तैयार किया है, जिससे उपेक्षित चूजों के बीच होने वाली मौतों को कम किया जा सके. शोधकर्ताओं का प्रस्ताव है कि उपेक्षित चूजों के लिए “पालक माता-पिता” इस गंभीर समस्या का समाधान हो सकते हैं. यानी ऐसी व्यवस्था जिसमें दूसरे बच्चों को किसी और तरह से पालने की व्यवस्था हो जिससे मूल माता पिता पर लालन पालन का दबाव ना हो. यह मानवीय हस्तक्षेप की तरह लग सकता है, लेकिन यह सही दिशा में एक धक्का देने जैसा है.
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उपेक्षित चूजों को बचाने के लिए, उन्हें कुछ हफ़्तों तक कैद में रखा जाता है और फिर उन्हें मैका के घोंसलों में रखा जाता है, जिनके चूजे समान विकासात्मक अवस्था में होते हैं या जो शिकार के कारण अपने सभी चूजों को खो चुके होते हैं. पालन कार्यक्रम की सफलता यह सुनिश्चित करने में छिपी है कि सभी चूजे लगभग एक ही आकार के दिखें. यह परिचितता पालक माता-पिता को अनाथ चूजों को अपना मानने के लिए प्रोत्साहित करती है. यह अध्ययन जर्नल डायवर्सिटी में प्रकाशित हुआ है.
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FIRST PUBLISHED : November 11, 2024, 10:44 IST