Apna Adda 25: धरमजी के भरोसे से चल निकली मेरी गाड़ी, विधायक निवास में चोरी से गुजारी कितनी ही रातें



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संजय बुगालिया
– फोटो : अमर उजाला

मुंबई में अपनी पहचान बनाने के लिए लगातार सक्रिय हुनरमंदों से मुलाकात की सीरीज ‘अपना अड्डा’ में इस बार बारी, निर्देशक संजय बुगालिया की। एक विज्ञापन फिल्म में धर्मेंद्र को निर्देशित करने का मौका मिलने के बाद से संजय ने पीछे मुड़कर नहीं देखा है। अपनी अब तक की संघर्ष यात्रा संजय साझा कर रहे ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक पंकज शुक्ल के साथ।




Apna Adda with Pankaj Shukla series journey of director ssanjay bugalia Dharmendra Rohit Sharma Hema Malini

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संजय बुगालिया
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई

तो फिल्मों का चस्का आपको भी स्कूल के दिनों मे फिल्में देखकर ही लगा?

(मुस्कुराते हुए) हां, हर फिल्मी कीड़े की तकरीबन यही कहानी होती है। पढ़ाई से ज्यादा फिल्मों में मन लगता है उन दिनों। लेकिन, मैंने कभी हीरो बनने के बारे में सोचा तक नहीं। मेरा पहले दिन से इरादा था कि मुझे फिल्म निर्देशक बनना है। और, मेरा ये पक्का इरादा रंग ला रहा है।


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संजय बुगालिया-रोहित शर्मा
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई

दूरदृष्टि, कड़ी मेहनत और पक्का इरादा एक समय देश भर मे दीवारों पर लिखे नारे होते थे, आपकी भी प्रेरणा वैसी ही कुछ है क्या?

हां, कह सकते हैं। मेरा नाम मेरे पिता राजकुमार बुगालिया ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दिवगंत बेटे संजय की याद में ही रखा। उन्हीं के सुझाए ये नारे उन दिनों स्कूलों की दीवारों पर खूब लिखे रहते थे। उन दिनों की फिल्मों ने ही मुझे सिनेमा सिखाया। मैं राजकुमार संतोषी, राजकुमार हिरानी और इम्तियाज अली जैसे द्रोणाचार्यों का एकलव्य हूं।


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धर्मेंद्र बुगालिया-हेमा मालिनी
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई

सिनेमा में अपनी जगह बनाने के लिए फिल्म प्रशिक्षण संस्थान कितनी मदद करते हैं?

मैंने नोएडा के एक फिल्म प्रशिक्षण संस्थान से निर्देशन का कोर्स किया। वहां से पढ़कर निकलते समय तो यही था कि बस मुंबई जाते ही मैं डायरेक्टर बन जाऊंगा। 2005 में मुंबई आया। चर्च गेट स्थित विधायक में सोने का जुगाड़ किया। सुबह सात बजे वहां से भागना होता था और रात 10  बजे से पहले वापस जा नहीं सकते थे। प्रशिक्षण संस्थान आपको एक शुरुआत दे सकते हैं लेकिन मुंबई का संघर्ष अलग स्तर का है। घरवालों का साथ न हो तो यहां पैर जमा पाना मुश्किल ही है।


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धर्मेंद्र-संजय बुगालिया
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई

और, पहला ब्रेक बतौर निर्देशक कौन सा रहा?

एक निर्देशक के तौर पर मैंने सबसे पहले एक सियासी दल का विज्ञापन बनाया था। पैसा भी अच्छा मिला और मुझे आत्मिक संतुष्टि भी हुई। फिर मेरी बनाई दो शॉर्ट फिल्मों ने देश विदेश में खूब इनाम जीते और इसके बाद आया वो दिन जब कैमरे के सामने थे धर्मेंद्र और एक्शन मुझे बोलना था। उसके बाद तो अब तक हेमा मालिनी, रणवीर सिंह, रवीना टंडन, उर्मिला मांतोडकर, अनूप सोनी और अमन वर्मा जैसे कई कलाकारों को विज्ञापन फिल्मों में निर्देशित कर चुका हूं। क्रिकेटर रोहित शर्मा, जसप्रीत बुमराह और अक्षर पटेल से भी मैंने अभिनय कराया है।




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