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खुदरा महंगाई दर – फोटो : amarujala.com
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भारत की हेडलाइन उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई वित्तीय वर्ष 2025 में 4.7-4.8 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है। बैंक ऑफ बड़ौदा की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार अनुकूल सांख्यिकीय आधार, खाने-पीने की चीजों में कमी और स्थिर वैश्विक कमोडिटी कीमतों से राहत मिल सकती है। टमाटर, प्याज और आलू की नई फसल की आवक अधिक मंडी आवक में परिलक्षित हुई है, जिससे आपूर्ति दबाव कम हुआ है।
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दिसंबर के आंकड़ों से सब्जियों की कीमतों में और सुधार का संकेत मिलता है, जबकि अनुकूल मिट्टी की नमी और जलाशय के स्तर से मजबूत रबी फसल का भी अनुमान है। इसके अलावे, स्थिर वैश्विक खाद्य और ऊर्जा कीमतों से निकट भविष्य में महंगाई को जोखिम कम हो सकता है।
बीओबी का आर्थिक स्थिति सूचकांक (ईसीआई) दिसंबर में न्यूनतम अनुक्रमिक मूल्य वृद्धि दर्शाता है, जो नवंबर में 0.4 प्रतिशत की तुलना में 0.1 प्रतिशत है। रिपोर्ट बताती है कि अनुकूल मुद्रास्फीति के ये रुझान भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को आने वाले महीनों में अधिक उदार मौद्रिक नीति रुख की ओर ले जा सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार नवंबर 2024 में सीपीआई मुद्रास्फीति अक्तूबर 2024 के 6.2 प्रतिशत से घटकर 5.5 प्रतिशत हो गई, ऐसा खाद्य कीमतों में व्यापक गिरावट के कारण ही संभव हो पाई।
उल्लेखनीय रूप से, नवंबर में सब्जियों की मुद्रास्फीति अक्तूबर की 42.2 प्रतिशत की तुलना में तेजी से घटकर 29.3 प्रतिशत हो गई। दालों, फलों और अनाज जैसे प्रमुख खाद्य पदार्थों की कीमतों में भी राहत देखी गई, जिसका श्रेय अच्छी खरीफ फसल और मौसमी कारकों को जाता है।
नवंबर 2024 में मुख्य मुद्रास्फीति (खाद्य और ईंधन को छोड़कर) 3.7 प्रतिशत पर स्थिर रही, जबकि अधिकांश मांग-संचालित उप-घटकों में नरमी देखी गई। जबकि त्योहारी सीजन के दौरान घरेलू सामान और सेवाओं में थोड़ी तेजी आई, कपड़े और जूते जैसी श्रेणियां स्थिर रहीं। सोने की कीमतों में गिरावट ने भी मुद्रास्फीति को कम करने में योगदान दिया। महीने-दर-महीने आधार पर, जनवरी 2024 के बाद पहली बार हेडलाइन सीपीआई मुद्रास्फीति में गिरावट आई। रिपोर्ट में सब्जियों, तेलों और फलों जैसे प्रमुख खंडों में सुधार का उल्लेख किया गया है।