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एस जयशंकर – फोटो : PTI
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भारत-चीन की रिश्तें को लेकर रविवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दोनों देशों के लिए संतुलन बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत और चीन दोनों के लिए संतुलन बनाने की जरूरत है, लेकिन फिलहाल समस्या यह है कि हम अभी भी तात्कालिक मुद्दों से जूझ रहे हैं और अभी उनका ध्यान तात्कालिक तनाव कम करने पर है।
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हाल ही में भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैनिकों की वापसी और गश्त के बारे में एक समझौता हुआ, जो पिछले चार साल से चल रहे तनाव को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह समझौता 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद, LAC पर तनाव को कम करने के लिए एक अहम कदम माना जा रहा है, जो दोनों देशों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था।
दोनों देशों के लिए संतुलन बनाना जरूरी- जयशंकर
जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के लिए संतुलन बनाना जरूरी है। यह मुश्किल है क्योंकि दोनों देश पूरी तरह से बदल रहे हैं और दुनिया भी बदल रही है। इसलिए यह एक जटिल स्थिति है। उन्होंने कहा कि इन बदलावों के बीच संतुलन कैसे स्थापित किया जाए, यह एक बड़ी चुनौती है, लेकिन फिलहाल हमारा ध्यान तात्कालिक तनाव को कम करने पर है।
जयशंकर ने बताया कि 3 दिसंबर को भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों की मुलाकात हुई थी, जहां दोनों ने हाल ही में हुए सैनिक वापसी समझौते की प्रगति और तनाव कम करने की जरूरत पर चर्चा की थी। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने आगे की बैठकों और वार्ताओं की आवश्यकता पर भी सहमति जताई।
पिछले चार सालों का विवरण
इसके साथ ही विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि पिछले चार सालों में चीन के बारे में जितनी चर्चा हुई है उतनी पहले कभी नहीं हुई थी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि 2020 से पहले पेट्रोलिंग प्वाइंट जैसे शब्दों का जिक्र तक नहीं होता था। मंत्री ने यह भी याद किया कि 1990 के दशक में जब भारत और चीन के बीच सैन्य वापसी समझौता हुआ था, तो उसे अब भी गोपनीय रखा गया है।
2005 रणनीतिक साझेदारी का जिक्र
जयशंकर ने यह भी बताया कि 2005 में भारत और चीन ने एक-दूसरे को “रणनीतिक साझेदार” मानने पर सहमति जताई थी, लेकिन उस समय कई लोग इस समझौते पर सवाल उठा रहे थे। उन्होंने कहा, “जब रणनीतिक साझेदारी तय की गई थी, तब सेना के लोग भी हैरान थे। इसके साथ ही आखिर में जब एक दर्शक ने पूछा कि क्या भारत को एक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की जरूरत है तो जयशंकर ने जवाब दिया कि हां, हमारे पास एक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति होनी चाहिए।