Pakistan: अंतरिक्ष से दिखाई पड़ रहा लाहौर का जहरीला स्मॉग, पाकिस्तान के कई बड़े शहरों में सांसों पर संकट



अंतरिक्ष से दिखाई पड़ रहा लाहौर का जहरीला स्मॉग
– फोटो : ANI

विस्तार


अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की तरफ से ली गई सैटेलाइट तस्वीरों के अनुसार, पाकिस्तान के लाहौर शहर में छाए घने, जहरीले धुएं के बादल अब अंतरिक्ष से भी दिखाई दे रहे हैं। मुल्तान और इस्लामाबाद जैसे बड़े शहरों समेत पाकिस्तान के कई शहर धुंध के संकट से जूझ रहे हैं। एक स्थानीय टीवी चैनल ने बताया कि लाहौर और मुल्तान शहर काली धुंध की चादर में लिपटे हुए हैं, जिसने सड़कों को घेर लिया है और इमारतों को देखना भी मुश्किल बना दिया है।

‘मंगलवार को लाहौर में हवा दुनिया में सबसे प्रदूषित रही’

स्विस एयर क्वालिटी टेक्नोलॉजी कंपनी आईक्यूएयर के अनुसार, मंगलवार को लाहौर में हवा दुनिया में सबसे प्रदूषित रही। आज दोपहर लाहौर में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 429 था, जबकि एक इलाके में रियल टाइम एआईक्यू रीडिंग 720 थी। एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में बिगड़ती वायु गुणवत्ता को देखते हुए यूनिसेफ ने चेतावनी जारी की है कि पंजाब में अत्यधिक प्रदूषित हवा लोगों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही है, जिसमें पांच साल से कम उम्र के 11 मिलियन से अधिक बच्चे शामिल हैं। 

वायु गुणवत्ता को लेकर यूनिसेफ की चेतावनी

यूनिसेफ की चेतावनी में कहा गया है कि दर्जनों बच्चों समेत सैकड़ों लोगों को बुरी तरह प्रभावित शहरों में अस्पताल में भर्ती कराया गया है, और प्रदूषण इतना गंभीर है कि इसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है। पाकिस्तान यूनिसेफ के प्रतिनिधि अब्दुल्ला फादिल ने इस्लामाबाद में जारी एक बयान में कहा, चूंकि पंजाब प्रांत में धुंध अभी भी बनी हुई है, इसलिए मैं उन छोटे बच्चों के स्वास्थ्य के बारे में बेहद चिंतित हूं, जिन्हें प्रदूषित, जहरीली हवा में सांस लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

पर्यावरणीय कुप्रबंधन से पाकिस्तान में सांसों पर संकट

एक स्थानीय समाचार चैनल के अनुसार, प्रदूषण के कारण पाकिस्तान में अधिकारियों को स्कूल और सार्वजनिक स्थान बंद करने पड़े हैं, क्योंकि धुंध से लाखों लोगों के स्वास्थ्य को खतरा है। लाहौर के अधिकारियों ने इस मौसम को अभूतपूर्व माना है, भले ही दक्षिण एशियाई प्रमुख शहर हर साल जहरीली धुंध से पीड़ित होते हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि लाहौर में गंभीर प्रदूषण को अब मौसमी मानकर खारिज नहीं किया जा सकता, क्योंकि खतरनाक धुंध गर्मियों के महीनों में भी बनी रहती है, जो प्रणालीगत पर्यावरणीय कुप्रबंधन का संकेत है। यह संकट केवल पराली जलाने से ही नहीं बल्कि अनियंत्रित वाहन उत्सर्जन, पुरानी औद्योगिक प्रथाओं और अप्रभावी पर्यावरणीय निगरानी से भी उपजा है।



Source link

Thank you for your time.
signature
Tags

What do you think?

Your email address will not be published. Required fields are marked *

No Comments Yet.