शुक्रवार को मस्जिदों में क्यों नजर आते है सबसे ज्यादा नमाजी, मुसलमानों के लिए क्यों है इतना खास


Friday Namaz: इस्लाम दुनिया में दूसरे नंबर का सबसे बड़ा धर्म है और एक मुसलमान होने की बुनियादी पहचान ही यह है कि वह अल्लाह में यकीन रखता हो. इसलिए नमाज पढ़ना सबसे आवशयक है. मुसलमान को जिंदगी भर पूरे दिन में पांच तरह की नमाज पढ़नी होती है जिसमें सुबह वाली को फज्र की नमाज ,दोपहर वाली को जुहर की नमाज, सूरज ढलने से पहले वाली को अस्र, सूरज छिपने से बाद वाली को मगरिब की नमाज और सबसे आखरी रात में ईशा की नमाज पढ़ी जाती है. 

जुमे की नमाज मुसलमानों के लिए अहम क्यों है

जुमे की नमाज (jumme ki namaz) पूरी दुनिया में हर शुक्रवार को होती है और यह बाकि दिनों से अलग है. क्योंकि जुमे का मतलब ही होता है जमा होना जिसका सबसे बड़ा मकसद होता है मुसलमानों को किसी एक जगह हर सप्ताह शुक्रवार को जमा करना ताकि उन्हें इस्लाम से जुड़ी जानकारियां और दुनिया में घट रहीं अन्य बड़ी घटनाओें के बारे में विचार साझा किए जा सके. पैगंबर मुहम्मद साहब ने तो जुमे के दिन को हर मुसलमान के लिए ईद के दिन के समान बताया है, क्योंकि मान्यता के अनुसार इस दिन वे खुद अच्छे से स्नान करने के बाद नए कपड़े पहनते थे और नमाज पढ़ने के लिए जाते थे. इसलिए हर मुसलमान जुमे की नमाज के लिए खास तैयारी करता है.

जुमे की नमाज पढ़ने के लिए क्या नियम है

मुसलमान की सबसे महत्वपूर्ण किताब हदीस के मुताबिक, हर शुक्रवार को जुमे की नमाज दोपहर 12 बजकर 5 मिनट पर शुरु होती है और यह आम दिनों की तरह घर, दुकान, रेलवे ट्रैक आदि पर बैठकर नहीं पढ़ी जाती है. इसको मस्जिद में जाकर कम से कम दस लोगों के साथ पढ़ी जाती है, जिसे इमाम पढ़ाते हैं. जुमे की नमाज (jumme ki namaz) से पहले खुतबा (स्पीच) भी दिया जाता है. इसलिए हर मुसलमान को जब भी जुमे की अजान का समय हो सारा काम छोड़कर जितना जल्दी हो सके पास की मस्जिद में जाना होता है और नमाज अदा करनी होती है. 

जुमे की नमाज सबसे पहले कब पढ़ी गई थी

हदीस के मुताबिक, सबसे पहले शुक्रवार यानी जुमे की नमाज पैगंबर मुहम्मद साहब ने मक्का के बाहरी इलाके कुबा में एक जगह पर अपने अनुयायियों के साथ बैठकर जुमे की नमाज अदा की थी.  

यह भी पढ़ें- Dadi-Nani Ki Baatein: खड़े होकर पानी मत पियो, क्यों कहती है दादी-नानी

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



Source link

Thank you for your time.
signature
Tags

What do you think?

Your email address will not be published. Required fields are marked *

No Comments Yet.